GI tag: आख़िर क्या है ये GI tag इसका फ़ायदा क्या है, किसको और कैसे मिलता है बाकी सभी कुछ।

GI tag: आज हम आपको बताने जा रहे हैं हमारे देश के GI tag के बारे में।

GI tag: (जीआई टैग) हर देश में अपने स्वदेशी उत्पाद को दिया जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उनका बाजार मूल्य बरकरार रहे. आज के वैश्वीकरण में प्रत्येक स्वदेशी उत्पाद मशीन द्वारा बनाया जाता है जिसके कारण स्थानीय लोगों की नौकरियाँ चली गईं जिससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. जीआई टैग एक नाम या प्रतीक है जिसका उपयोग किसी विशेष उत्पाद पर किया जाता है जो किसी भौगोलिक या पुरानी परंपरा से संबंधित हो या उसका चलन चला आ रहा हो सरकार इसे GI tag सर्टिफिकेट देती है।

विश्व व्यापार संगठन डब्ल्यूटीओ(WTO) के सदस्य के रूप में भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 लागू किया, जो 15 सितंबर 2003 से लागू हुआ है। जीआई को अनुच्छेद 22 (1) के तहत परिभाषित किया गया है। आपको बता दें भारत में जीआई टैग (GI tag) का हेडक्वाटर चेन्नई में स्थित है।

कश्मीर अखरोट की लकड़ी पर नक्काशी

GI tag: हमारे भारत देश में कई प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं और कई प्रकार के धर्म और जातियाँ भी हैं जिसके कारण हमारे देश को विविधता वाला देश कहा जाता है। हमारे देश में उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत और पूर्वी भारत से लेकर पश्चिम भारत तक हर जगह अलग-अलग संस्कृति के लोग बसे हुए हैं। जो कई कलाओं और शिल्पों में माहिर है जैसे की जम्मू-कश्मीर में हाथ से बनी पश्मीना शॉल जो दुनिया भर में मशहूर है।

जम्मू-कश्मीर में हाथ से बनी पश्मीना शॉल

GI tag: वहीं, बिहार के किसानों द्वारा मखाना का उत्पादन किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है. ये सभी उत्पाद देश में व्यापारियों द्वारा उनके नाम और स्थान के नाम पर बेचे जा रहे हैं। जिसके कारण किसानों को सही कीमत नहीं मिल पाती है, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उत्पाद को GI tag (जीआई टैग) दिया है।

बिहार का मखाना
GI tag: तो चलिए जानते हैं भारत के जीआई टैग (GI tag) के बारे में।

1. भारत में पहला भूगोलीय संकेत: (Geographical Indication – GI) टैग दार्जिलिंग चाय को 2004 में प्रदान किया गया था।
दार्जिलिंग चाय का इतिहास बहुत रोचक है। यह चाय उत्तर पश्चिम भारत के हिमालयी पर्वत श्रृंग में स्थित दार्जिलिंग ज़िले से उत्पन्न होता है। चाय की खेती इस क्षेत्र में विदेशी ब्रिटिश और भारतीय चिकित्सकों के आग्रह से प्रारंभ हुई थी। इसे पहली बार 19वीं सदी के अंत में वहाँ के ब्रिटिश गवर्नर जेम्स लाइन के अनुसार विकसित किया गया था।

दार्जिलिंग चाय का ख़ास रस और गुणवत्ता किसी अन्य चाय से अलग होता है, जिसकी वजह से यह विशेष माना जाता है। इसे उच्च ऊंचाई पर, समय-समय पर बर्फ और बारिश के कारण विशेष तापमान में उत्पन्न किया जाता है, जिससे इसके पत्तों का स्वाद और आरोमा विशेष होता है। दार्जिलिंग चाय आज भारत का एक प्रमुख चाय उत्पादक है और विश्व भर में लोकप्रिय है।

दार्जिलिंग चाय

2. पश्मीना शॉल: को भौगोलिक सूचना (GI tag) 15 जुलाई, 2019 को दिया गया था। इस GI टैग को पश्मीना शॉल की प्राचीन कारीगरी और विशेषता को संरक्षित करने के लिए प्रदान किया गया था, जहां इसे उत्पन्न किया जाता है और जहां यह मुख्य रूप से पायी जाती है जैसे कश्मीर के पर्वतीय क्षेत्रों और नेपाल के कुछ हिस्सों में इसे उत्पन्न किया जाता है। हिमालयी संस्कृतियों में, इन वस्त्रों को सुरक्षा, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

इस तरह, वे अक्सर विरासत के रूप में महत्वपूर्ण होते हैं, एक पीढ़ी से अगले पीढ़ी के लिए प्यार और परंपरा की एक स्पष्ट याद दिलाते हैं। पश्मीना शॉल की अनोखी बात यह है कि इनकी भव्यता और बुनाई ने लोगों के दिलों में जगह बनाई है। प्रत्येक शॉल एक कला की कहानी है, जिसमें जीवन भर का अनुभव होता है।

जम्मू-कश्मीर में हाथ से बनी पश्मीना शॉल

3. वाझाकुलम पाइनएप्पल: वाझाकुलम पाइनएप्पल, जिसे भारत के राज्य केरल के एक छोटे से गाँव के नाम पर नामांकित किया गया है, भारत की प्रमुख खेती उत्पादों में से एक है। इसका भूगोलीय संकेत (Geographical Indication – GI) टैग, इसकी विशेषता और गुणवत्ता की पुष्टि करता है और इसे एक विशेष स्थानीय उत्पाद के रूप में पहचानता है। वाझाकुलम पाइनएप्पल का विशेष स्वाद और गुणवत्ता उसे अन्य पाइनएप्पल से अलग बनाता है। इसका रंग सुंदर और आकर्षक होता है, और इसका स्वाद मीठा और आरोमा विशेष होता है।

वाझाकुलम के मौसम और मिट्टी के अनुकूल तत्व इसे और भी विशेष बनाते हैं।वाझाकुलम पाइनएप्पल का जीआई टैग न केवल उसकी गुणवत्ता की पुष्टि करता है, बल्कि यह उत्पाद के लिए एक पहचानी जाने वाली स्थानीय खोज को भी प्रस्तुत करता है।

वाझाकुलम पाइनएप्पल, केरल

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निष्कर्ष:-
भारत में प्राप्त जीआई टैग (GI tag) की संख्या दिन ब दिन बढ़ रही है। इससे प्रकट होता है कि भारतीय संस्कृति, विरासत और परंपराओं के संरक्षण के लिए GI tag (जीआई टैग) का कितना महत्व है। GI tag के अप्रूवल के माध्यम से, भारतीय सामाजिक और आर्थिक विविधता को बढ़ावा मिलता है, जिससे स्थानीय उत्पादकों को स्थानीय बाजारों में प्रमोट करने का माध्यम मिलता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को समृद्धि का साथ मिलता है। इससे स्थानीय विकास को समर्थन मिलता है और देश के अन्य क्षेत्रों में आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

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